जब हम बच्चे थे !
माँ के गोद में खेलते
सबसे हरदम प्रेम थे मिलते
खुशियों के थे फूल बरसते
हर पल हँसते रहते थे
जब हम बच्चे थे ।
माँ के आँचल में लिपटे रहते
भय से कोसों दूर हम रहते
जग को आँगन से तुलना करते
संसार उसे समझते थे
जब हम बच्चे थे ।
दुःख- दर्द और पीड़ा का नहीं आभास थे होते
जब हम माँ के पास थे होते
रात को जब हम थे रोते
लोरियाँ हम सब सुनते थे
जब हम बच्चे थे ।
अमीर कौन गरीब कौन
मीत कौन शत्रु कौन
हिन्दू , मुस्लिम, इसाई कौन
हम अनभिग थे ; पर सच्चे थे
जब हम बच्चे थे ।
राम-रहीम में भेद ना करते
सब घर जाते खेलते और खाते
ईद, दशहरा और होली भी संग
हम मनाया करते थे
जब हम बच्चे थे ।
_________________Sohrab Alam Ansari
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